भक्ति का जन्म आस्ट्रेलिया में हुआ था। उसकी राय के बिना ही उसके मातापिता ने जबरदस्ती उसे हिन्दी भाषा सीखने के लिये भेजा। शुरू में तो उसे बिल्कुलभी अच्छा नहीं लगा लेकिन धीरे धीरे उसे इस भाषा में मजा आने लगा।
संजना छोटी आयु में आस्ट्रेलिया आयी थी इसलिये उसे हिन्दी पहले से आती थी लेकिन समय के साथ साथ वह भाषा को भूलने लगी।
अब इन दोनों ने ही भाषा के महत्व को पहचाना है ।
वह अब भारत में अपने परिवार के साथ खुद को अधिक करीब पाती हैं, उनकी बातों को ठीक से समझती हैं।
वह अपनी संस्कृती, परम्परा को बेहतर तरह से समझ पाती है।
उनहें अपनी संस्कृति और सभ्यता पर गर्व महसूस होता है।
वह बताती है कि हिन्दी सीखते समय कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन वब यह सब कर सकीं।
वब चाहती है कि सभी छोटे बच्चं को हिन्दी सीखनी चाहिये ताकि वह अपनी जड़ों से डुड़े रहें।